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लेखनी कहानी -19-Mar-2023 नौकरी का पहला दिन

सरकारी नौकरी ससुराल की तरह होती है 
सुनते हैं कि यहां खूब खातिरदारी होती है 
यह सोचकर हमने नौकरी का फॉर्म भर दिया 
मुकद्दर सही था इसलिए PSC ने चयन कर लिया 
हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट से भी हरी झंडी मिल गई 
इस तरह हमारी नौकरी की हसरत पूरी हो गई 
पहले दिन दामाद की तरह ऑफिस में पहुंच गये 
हमारे ठाठ बाट देख हमारे बॉस हमसे उखड़ गये 
वे गाली गलौज और डांट फटकार करने लगे 
हम भी दामाद की तरह बेशर्मी से हंसने लगे 
जब हमने बताया कि फलां मंत्री जी हमारे सगे हैं 
बस, तभी से हमारे बॉस के तेवर बदलने लगे हैं 
जब हमने उन्हें धारा 3 वाला जाति कार्ड दिखलाया 
बॉस मिमियाते हुए तत्काल अपने घुटनों पर आया 
कहने लगा "माई बाप, ऑफिस आने की जरूरत नहीं है 
खाओ, पिओ, ऐश करो, काम की आवश्यकता नहीं है 
हर महीने तनख्वाह आपके घर पहुंच जायेगी 
"मलाई" में से आपके हिस्से की राशि भी मिल जायेगी"
कुछ "गधे" भी ऑफिस में काम करते हुए नजर आए 
कुछ लोग "रमजान" के कारण ऑफिस में देर से आए 
सरकार ने धर्म निरपेक्षता के कारण उन्हें छूट दे रखी थी 
धर्म निरपेक्ष सरकार ने ऐसे संविधान की लाज रखी थी 
आम आदमी बाबुओं के तलवे चाट रहा था 
भ्रष्ट तंत्र दीमक की तरह देश को खा रहा था 

श्री हरि 
19.3.23 


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